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*आदिवासी बहुल जिले मंडला में शिक्षा के नाम पर व्यापार: मदर टेरेसा नर्सिंग महाविद्यालय का मामला*

मंडला में शिक्षा का व्यापार: छात्राओं के साथ धोखाधड़ी का मामला

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मंडला MP हेमंत नायक✍️

  • मदर टेरेसा इंस्टीट्यूट में छात्राओं के साथ धोखाधड़ी, दो साल बर्बाद।
  • आदिवासी बहुल जिले में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल, छात्राओं के साथ अन्याय।
  • मंडला: नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश लेने वाली छात्राएं ठगी का शिकार।
  • शिक्षा का व्यापार: मंडला के नर्सिंग कॉलेज में छात्राओं के साथ धोखाधड़ी।

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले मंडला में शिक्षा को व्यापार का जरिया बनाए जाने का एक चिंताजनक मामला सामने आया है। मंडला के कटरा स्थित **मदर टेरेसा इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग** महाविद्यालय में वर्ष 2022-23 में दो छात्राओं ने जी.एन.एम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। यह दोनों छात्राएं और उनके अभिभावक अपने भविष्य के सपने साकार करने की उम्मीद के साथ इस संस्थान में आए थे।

**दो वर्षों बाद बड़ा खुलासा**

हाल ही में, जब नर्सिंग महाविद्यालय में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई, तो इन छात्राओं और उनके अभिभावकों को यह कहकर चौंका दिया गया कि उनकी उम्र 17 वर्ष से कम होने के कारण, वे शासन के नियमों के अनुसार नामांकन के योग्य नहीं हैं। यह खुलासा 2 साल बाद हुआ, जब छात्राएं जी.एन.एम प्रथम वर्ष के अध्ययन में दो साल लगा चुकी थीं।

यह खबर सुनने के बाद छात्राएं और उनके अभिभावक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने संस्थान पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि प्रवेश के समय इस मुद्दे को क्यों नहीं बताया गया। अगर उम्र का यह मापदंड पहले ही स्पष्ट कर दिया गया होता, तो उनके दो साल बर्बाद नहीं होते।

*शिक्षा के नाम पर व्यापार*

यह मामला केवल दो छात्राओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल उठाता है। आदिवासी बहुल जिलों में शिक्षा के नाम पर व्यापार करना और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना गंभीर चिंता का विषय है। मंडला जैसे पिछड़े इलाके में, जहां शिक्षा का अभाव पहले से ही एक बड़ी समस्या है, इस तरह की घटनाएं समाज के कमजोर वर्गों के विश्वास को तोड़ती हैं।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की सख्त आवश्यकता है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम और उनके क्रियान्वयन की आवश्यकता है। साथ ही, पीड़ित छात्राओं को न्याय दिलाने और उनके दो साल की भरपाई के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

आदिवासी बहुल क्षेत्र मंडला में शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी अनियमितताएं न केवल स्थानीय समाज को बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र को कलंकित करती हैं। यह समय है कि शासन, समाज और शैक्षणिक संस्थान मिलकर इन समस्याओं का समाधान खोजें और शिक्षा को व्यापार का माध्यम बनने से रोकें। शिक्षा एक अधिकार है, न कि व्यापार।

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